श्री शक्तिपीठ महाकाली मंदिर

श्री शक्तिपीठ महाकाली मंदिर 

शोभापुर पुल के पास आधारताल जबलपुर 

माता काली अर्थात महाकाली जो काल से भी परे है | माता महाकाली अपने भक्तों पर सदा अमृत बरसाती और दुष्टों पर काल बनकर उनका संहार करती है माता महाकाली की कृपा जिस पर हो जाए वह इस मायावी भवसंसार से तर जाता है | ऐसे ही महाकाली ने कृपा की “श्री हरिगिरी महाराज” जिन्हें “हरी बाबा” के नाम से जाना जाता है | श्री हरिबाबा पर माता महाकाली की ऐसी कृपा हुई की आपने अपना समस्त जीवन माता की सेवा के लिए चुना |

माता महाकाली जैसा चाहती है वैसा निश्चित रूप से होता है | ऐसे ही माता वहां वास करती हैं जहाँ वह चाहती है | ऐसी कृपा माता ने अपने अनेक भक्तों पर की है | ऐसी ही कृपा “श्री हरिबाबा” पर की उन्हें मंदिर निर्मर की स्मृति मिली, माता का बार-बार स्मरण ऐसे ही नहीं था ये लोक कल्याण के लिए आवश्यक भी है |

             माता रानी ने अपने स्थान को ऐसी जगह चुना जहाँ से महाकाली अपनी कृपा हर एक भक्त तक पहुंचती है | श्री शक्तिपीठ महाकाली मंदिर धार्मिकता, दार्शनिकता के साथ भौगोलिक दृष्टि से भी अदभुत है | माता का यह मंदिर समुद्र तल से लगभग २०० फीट ऊँचाई पर शोभापुर ब्रिज, आधारताल के निकट स्थित है | इसकी चढ़ाई जरा दुर्गम है | माता का दरवार पहाड़ी पर स्थित होने से मंदिर की सीढ़ी की चढ़ाई खड़ी है |


मंदिर का निर्माण :

 

माता रानी ने अपने मंदिर निर्माण कार्य की शरुआत के लिए शुभ दिवस का चयन किया | चैत्र नवरात्रि की पंचमी (पांचवा दिन) 1978 में अर्थात् 12, अप्रैल 1978 दिन बुधवार, और यह दिन विघ्नविनाशक श्री गणेशजी का दिन है और साथ ही था कार्तिक देव की माता स्कन्ध माता का दिवस था तो बिना किसी विघ्न के कार्य शुरू हुआ और 1984 पंचमी 6, अप्रैल शुक्रवार के दिन सम्पन्न हुआ |
माता महाकाली की स्थापना यहाँ माता रानी के सौम्य रूप में हुई और यह माता रानी का बड़ा मनोहारी रूप है | माता रानी की यह अदभुत् प्रतिमा राजस्थान के जयपुर शहर से निर्मित होकर आई |

6, अप्रैल 1984 चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को बुढ़ानगर, जबलपुर के पं. भगवत् पुरोहित आचार्य द्वारा पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा के साथ श्री शक्ति पीठ महाकाली मंदिर में महाकाली अपने सौम्य रूप में विराजमान हुई |


विशेष : मंदिर में चैत्र नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि की पंचमी को भंडारा और विविध आयोजन किये जाते है |
मान्यता : माता महाकाली का यह दक्षिणमुखी रूप है जो दक्षिणेश्वरी महाकाली का रूप है |
            माता यहाँ अपने सौम्य रूप में सिर्फ दर्शन मात्र से भक्तो की चिंता समाप्त हो जाती है |
संस्थापक : श्री हरिगीरी महाराज “श्री हरिबाबा” पुजारी संस्थापक, संरक्षक |
समिति : श्री शक्तिपीठ महाकाली मंदिर, शोभापुर पुल, आधारताल, जबलपुर |
बलिप्रथा : पुर्णतः प्रिबंधित क्यूंकि माता महाकाली सबकी माँ है और वह कभी किसी की भी निर्दोष जीव की बलि नहीं लेती है |
भोग : मीठा, खीर, पुडी, फल, श्रीफल |