शारदीय नवरात्रि सिद्धि व विजय दिलाने वाली होती है। इन नवरात्रों में मां के दर्शन और उनकी पूजा करने से सिद्धि और विजय दोनों की प्राप्तिर होती है। इस नवरात्रि का सबके बीच सबसे खास महत्वि होता है। पूरे देशभर में इन नवरात्रि की रौनक देखने लायक होती है। विजय रूप में माने जाने वाले इन नवरात्रों के दसवें दिन विजयदशमी का पर्व मनाया जाता है, जो खुद बुराई पर अच्छासई की जीत के रूप में मनाया जाता है। वैसे सभी नवरात्रों के बीच इन नवरात्रों को सबसे ज्याछदा अहम माना जाता है। आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्र हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है।


पूजा की विधि


आश्विन शुक्लपक्ष के पहले नवरात्र यानि प्रथमा को घरों व मंदिरों में कलश की स्थापना के साथ ही भक्तों की आस्था का ये त्योहार शारदीय नवरात्र आरम्भ हो जाता है। इसके साथ भक्तो मिट्टी में जौं भी बोते हैं, जो नौ दिन में पककर जवारे बन जाते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है। ये नौ दिन कई भक्तै व्रत के साथ मां का श्रंगार कर उनकी उपासना करते हैं। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को कन्या भोज कराया जाता है। कन्यारओं को मां का स्व रूप मानकर उन्हेंो भोज कराते हैं। इस भोज में हलवे और चने का विशेष महत्वओ होता है। उसके बाद कन्यारओं को दक्षिणा व उपहार देकर विदा करते हैं। कन्यातओं को भोज कराने के बाद भक्तर खुद व्रत का पारण करते हैं। यह महापर्व सम्पूर्ण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।