मध्यप्रदेश का 500 वर्ष प्राचीन गोंडकालीन शारदा माता का मंदिर, विजय और इच्छाओं की पूर्ति का है प्रतीक | Sharda Devi ka mandir

मध्यप्रदेश का 500 वर्ष प्राचीन गोंडकालीन शारदा माता का मंदिर, विजय और इच्छाओं की पूर्ति का है प्रतीक | Sharda Devi ka mandir

सावन में लगता है मेला, रानी दुर्गावती ने कराया था निर्माण

जबलपुर | जबलपुर शहर में नागपुर रोड पर शारदा चौक के पास मदन महल की पहाड़ी पर माता शारदा का अति प्राचीनतम गोडकालीन मंदिर है। यहां पूर्व में गोंडवाना साम्राज्य का क्षेत्र हुआ करता था। यह भव्य मंदिर आज भी विजय और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक है। भक्त अपने दुख-दर्द को लेकर माता के दरबार में उपस्थित दर्ज कराते हैं, और माता भक्तों मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं। यह मंदिर आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। सावन के पवन मास पर यहां भव्य आयोजन किए जाते हैं, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं।

मूल प्रतिमा पीछे स्थापित

देवी मां की मूल प्रतिमा मंदिर के पिछले हिस्से में स्थापित है। मंदिर के सामने वाली प्रतिमा मूल प्रतिमा नहीं है। देवी मां की यह मूर्ति लगभग 77 साल पुरानी है। माना जाता है कि 100 साल पहले यहां पुजारी को मार दिया गया था और देवी मां की प्रतिमा को खंडित कर दिया गया था। जिसके बाद यहां नई प्रतिमा की स्थापना की गई थी। स्थानीय लोगों की मदद से मंदिर को नया स्वरूप दिया गया। देवी मां के मंदिर से कुछ ही दूर सामने वाली पहाड़ी पर भगवान हनुमान का भी मंदिर है। जिनके दर्शन किए बिना मां शारदा के दर्शन अधूरे माने जाते हैं।

550 साल पुराना है मंदिर

इतिहासकारों की मानें तो यह मंदिर 500 साल पुराना है। रानी दुर्गावती ने इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1550-60 के दौरान करवाया था। स्थानीय लोगों का मानना है कि रानी दुर्गावती शारदा की पूजा करने प्रतिदिन आया करती थीं। वर्ष 1556 के दौरान मालवा के अंतिम सुल्तान बाज बहादुर ने गोंडवाना साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में रानी ने अपने पराक्रम का प्रदर्शन कर बाजबहादुर और उसकी सेना के दांत खट्टे कर दिए थे। बाजबहादूर को अपनी जान बचाने के लिए रणभूमि से भागना पड़ा था। इस विजय के बाद पूरे गोंडवाना में खुशियां मनाई गई थी। रानी ने प्रजा के साथ माता शारदा के मंदिर पर विजय ध्वज चढ़ाया था। तब से लेकर अब तक यहां झंडा चढ़ाने की परम्परा निरंतर चली आ रही है।

जुड़ी है अनोखी मान्यता

इस अद्भुत मंदिर से एक और अनोखी मान्यता जुड़ी है। माना जाता है कि इस मंदिर में कभी झंडा चढ़ाने से जोरों की बारिश हुई थी। स्थानीय जानकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण गोंडवाना साम्राज्य की वीरांगना दुर्गावती से ने सूखा पडऩे पर करवाया था। रानी दुर्गावती ने सावन के सोमवार में मंदिर पर झंडे अर्पित किए थे। झंडे चढ़ाने के बाद तेज बारिश शुरू हुई थी और सूखे से सब को निजात मिली।

कभी पाठ्यक्रम में शामिल था?

1990-2003 दशक के आसपास तक निबंध में शामिल था “शारदा देवी का मेला”

जिसमें आज भी लोगों को याद उसमें लिखा गया था जबलपुर शहर से 4.5 किलोमीटर की दूरी पर ऊँची पहाड़ी पर माता की मढिया पर माता का भव्य मंदिर है| सावन सोमवार के प्रत्येक सोमवार को लगता है मेला| इस अवसर पर दूर-दूर से भक्तों का जत्था माता को झंडा भेंट करना आता हैं|

विद्यालय में सावन प्रत्येक सोमवार को शारदा देवी मेले के लिए शासन की ओर से अर्द्ध अवकाश  दिया जाता था |

Share With:
Post Comment


Comments