रावण के अहंकार का हुआ दहन, धूमधाम के साथ मना पंजाबी दशहरा
जबलपुर नवरात्री | जबलपुर का 68 वां पंजाबी दशहरा
जबलपुर में 68 वां पंजाबी दशहरा समारोह, पंजाबी-हिन्दू एसोसिएशन के तत्वावधान में शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय परिसर ग्वारीघाट में भगवन श्री गणेश, माँ दुर्गा और भगवन श्री राम के पूजन के पश्चात् जगद्गुरू डॉ स्वामी श्यामदेवाचार्य महाराज के आशीर्वचन और हर्ष पटेरिया के मुख्य आतिथ्य में आयोजित किया गया। सर्वप्रथम दुर्गा वंदना, श्रीराम होली, मॉस एक्रो योगा, सूफी, कत्थक, दिव्य रामायण, स्वच्छता अभियान पर नाटक का मंचन हुआ। इसके साथ पंजाबी की मिट्टी की खुशबू याद आई और भांगड़ा एंड पार्टी द्वारा शानदार प्रस्तुति दी। अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त श्याम बैंड के 200 सदस्यीय दल ने श्रीराम शोभायात्रा को अभूतपूर्व यादगार बना दिया और शानदार प्रस्तुति दी राम जी की सेना चली।
तदउपरांत मर्यादा पुरोषोत्तम श्रीरामचन्द्र जी ने 55 फीट ऊंचे रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के अहंकार स्वरुप पुतलों पर अपने तीर कमान से अग्रिबाण मार कर उन्हें दहन किया। इस दौरान संस्था अध्यक्ष श्री चन्द्रकुमार भनोत, सचिव मोहन खत्री, डॉ राजीव ओबेराय, अंशुल मलिक, पवन मरवाह और राजेश कोचर आदि मौजूद थे।
200 से अधिक अलग-अलग रंग की हुई आतिशबाजीयां
शाम होते ही आसमान में विभिन्न रंग की आतिशबाजी दिखाई देने लगी। 200 से अधिक रंगीन आतिशबाजीयां हुई हैं जो विभिन्न प्रकार की थी। इस संबंध में आयोजकों कहना है कि हमारा प्रयास रहता है कि लोगों को हर वर्ष कुछ नया देखने को मिले। इसमें हम काफी हद तक सफल भी हुए हैं और हर वर्ष तरहइस वर्ष भी आतिबाजी लोगों के आकर्षण का केंद्र था|
दूर-दूर से आये लोग
दशहरा देखने ग्वारीघाट से सटे कई ग्रामीण क्षेत्र है। इसलिए यहां पर दूर दराज से लोग ज्यादा आते है। शहरी लोगों के अलावा ग्रामीण अंचल के लोग भी इस दशहरा में शामिल हुए थे। दशहरा में आतिशबाजी देखते ही बन रही थी। सभी लोगों ने आतिशबाजी का जमकर आनंद लिया। लोगों का कहना है कि हम प्रतिवर्ष यह दशहरा देखने आते हैं, यहां की आतिश्बाजी देखते ही बनती है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति
इस दौरान शहर के कलाकारों व बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी गई। इस दौरान विभिन्न दलदल घोड़ी का नृत्य, शेर नृत्य लोगों में आकर्षण का केन्द्र रहा है। कार्यक्रम को देखने के लिए दोपहर 2 बजे से ही लोगों का आना शुरू हो गया था। शाम 5 बजे से पूरा आयोजन स्थल लोगों की भीड़ से भर गया।
मर्यादा पुरोषोत्तम राम की हुई जय जयकार
भगवान राम का अग्निबाण छूटते ही अहंकार के प्रतीक रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले आग के शोलों में बदल गए। दशानन का दंभ चंद मिनटों में चूर होने और इन पुतलों से उठे धुएं के काले गुबार उस वक्त छंट गए जब राम भक्तों ने करतल ध्वनि कर खुशी का इजहार किया और आसमानी आतिशबाजी की रंगारंग छटाएं सत्य की विजय के प्रकाश के रूप में फैल गई।
एक ही नारा एक ही नाम जय श्रीराम जय श्रीराम