शारदा देवी मंदिर, बरेला जबलपुर

 

शारदा देवी मंदिर, बरेला जबलपुर

जबलपुर से 40 मिनट की दूरी और 21 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद बरेला में माँ शारदा का यह मंदिर स्थित है। माता का यह मंदिर प्राकृतिक, भोगोलिक, एतिहासिक एवं दार्शिनिक रूप से बहुत अद्भुत है | शारदा माता माँ का यह मंदिर समुद्र तल से 400 फ़ीट ऊची पहाड़ी पर स्थित है | शारदा मंदिर बरेला की स्थापना स्व. श्रवण कुमार शुक्ल जी के द्वारा की गई|

मंदिर का इतिहास :

पूर्व से स्थित थी माता शारदा की मढिया

शारदा माता का यह दिव्या स्थान बरेला की पहाड़ी में पूर्व में ही स्थित थी परन्तु यहाँ माता का मंदिर नहीं था और माता की यह मढिया व्यवस्थाहीन थी, जिसकी स्थापना लगभग 1940 में की गई थी| शुक्ला जी जब माता शारदा की पहाड़ी पर गए तब वहां शारदा माता की एक प्राचीन प्रतिमा नीचे लेते हुई मिली| फिर आपने माता की कृपा से मंदिर के निर्माण प्राण लिया 15 जून 1975 को मंदिर माता की कृपा से निर्मित हो गया|

श्री शारदा मंदिर, बरेला में माता का मंदिर निर्माण 

शारदा मंदिर बरेला की स्थापना 15 जून 1975 को  स्व. श्रवण कुमार शुक्ल जी के द्वारा माता शारदा की असीम कृपा व स्मृति से हुई| स्व. शुक्लजी आप राज्य परिवहन में ड्राईवर थे आप जबलपुर से मंडला की ओर आने-जाने बाली बस में ड्राविंग किया करते थे| 


एक दिवस माता ने इन्हें स्वप्न में पहाड़ी में होने का संकेत दिया|  शुक्ल जी इस विषय में आपने माता पिता को सूचित किया और सारा वृतांत बताया जिसे माता पिता के द्वारा केबल स्वप्न मानकर भूल जाने को कहा | फिर माता के आदेशानुसार स्व. श्रवण कुमार शुक्ल जी ने पहाड़ी में जाने का निश्चय किया वह माता की एक छोटी सी मढिया थी फिर शुक्ल जी में राज्यपरिवहन की नौकरी से त्यागपत्र देकर सेवा को समाप्त किया |

                      इसके बाद राज्यपरिवहन से नौकरी छोड़ने पर लगभग 70,000 रुपए मिले जिससे आपने श्री शारदा मंदिर निर्माण कार्य आरंभ करवाया और माता के आशीर्वाद से 15 जून 1975 को संपन्न हुआ और साथ की मंदिर तक पहुचने के लिए रास्ते को दुरुस्त करने का कार्य किया| पूर्व मंत्री श्री विमला जी ने रोड का डामरीकरण किया | पर माता जो चाहती हैं वो होकर रहता है, माता ने स्वप्न में फिर पहाड़ी में होने का संकेत दिया | यह खूबसूरत  ऊंचाई पर एक छोटी पहाड़ी पर बना हुआ है। नवरात्री के त्यौहार पर यहां श्रद्धालु की भारी भीड़ देखने को मिलती है। इस मंदिर के बारे में अनेक मान्यताएं प्रसिद्ध है।

                         1994 को माता शारदा ने शुक्ला जी को मुक्ति दी| शुक्ला जी के स्वर्गवास होने के पश्चात् आपकी पत्नी ने मंदिर के कार्यभार का निर्वहन किया और फिर शुक्ल जी पुत्र श्री आशीष शुक्ला जी और श्री अभय शुक्ला जी द्वारा मंदिर की कार्यकारणी का कार्यभार संपन्न किया जा रहा है |


अद्भुत दार्शिनिक स्थल

शारदा मंदिर बरेला भोगोलिक दृष्टी से अद्भुत है, माता का यह स्थान समुद्रतल से लगभग 400 फीट उची पहाड़ी पर स्थित है| यह स्थान दैविक, दार्शिनिक, धार्मिक एवं भोगोलिक दृष्टी से अद्भुत है|

शारदा देवी मंदिर प्रांगण बरेला

इस स्थान पर पूर्ण शक्ति परिवार है यहाँ प्रवेश द्वार पर भगवन शंकर माता पार्वती, भगवान कार्तिक, भगवान गणेश एवं ब्रह्मचारी नंदी महाराज जी स्थापित हैं|

आगे श्री पवन पुत्र हनुमान जी की २७ फीट उची प्रतिमा स्थापित है|

पहाड़ी में मन्दिर प्रांगण में माता शारदा, श्री गणेश महाराज,माता काली, श्री लक्ष्मी – नारायण जी स्थापित है|

पूजन विधि

सात्विक पूजन विधि से माता को पान- सुपारी, ध्वजा, नारियल, मिष्ठान, खीर-पूरी, फल प्रसाद आदि माता को भक्त अर्पित करते हैं|